Saturday, August 8, 2009

अभी अभी पहाड़ से लौटा हूँ।

अभी अभी पहाड़ से लौटा हूँ।
एक नया गॉव देखा हड़तोला। भुवाली से कार से डेढ़ घंटे की चढ़ाई है। खूब बारिश हो रही थी।





पहाड़ों पर बरसात















बरसात बंद होने के बाद निखरा सौंदर्य













जिधर देखो फलों के बाग है।












हड़तोला से पिथेरागढ़ गये। अल्‍मोड़ा के पास भांग के झाड़ मिले। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भांग के पत्‍तों की पकोडि़यॉं भांग के सकारात्‍मक गुणों के साथ बहुत ही स्‍वादिष्‍ट होती हैं।


पिथौरागढ़ से वीर्थी जलप्रपात देखते हुए हम मुन्‍स्‍यारी गये।

मुन्‍स्‍यारी से पंचचूली का दृश्‍य




शाम को जब बादल छाए हुए थे



एक घस्‍यारन



12 comments:

मुनीश ( munish ) said...

very charming indeed ! R u sure that Bhang pakodee can be taken without any risk ?

मथुरा कलौनी said...

@Munish
I survived to write this blog :)

Sangeeta said...

Awesome place sir. Very nicely you have composed.

P.N. Subramanian said...

बहुत सुन्दर. बहुत अच्छा लगा.

Manish Kumar said...

sundar chitra..

Anonymous said...

बहुत सुन्दर अच्छा लगा...

स्वप्नदर्शी said...

Very nice pictures, almost nostalgic for me.

Tys on Ice said...

bhang pakodee is something everybody shud try atleast once in their life time...it does have its uplifting moment...

शोभना चौरे said...

bhut sundar vivarnphado ki yatra ka .
post padhakar aur prkrti ke chitra dekhakar man prfulit ho gya .

हरकीरत ' हीर' said...

Sare chitra lajwaab lage .....ye mitti si kya flon ke bag hain ....?
kuch spast nazar nahi aa raha ....!

Munish ji sach much mat aajmaa lijiyega ...hmare ghar mein bhi ye pouthe lage hain ek baar natija dekh chuki hun ....!!

मथुरा कलौनी said...

चित्र पर क्लिक कीजिये। चित्र बड़ा हो जायेगा और
फल दिखने लगेंगे

हरकीरत ' हीर' said...

हांजी देख लिए ये तो सेब हैं जी ...कुछ भिजवाइए चख कर भी देखें ....!!