इधर कुंठा उधर त्रास है
आँखें वीरान मन नीराश है
डरे सहमे से दिन हैं
काली डरावनी हैं रातें
भटके हुओं को राह दिखाये
ऐसे कुछ चिराग चाहिये
सोते हुओं को जगाये
ऐसे कुछ अशआर चाहिये
ऊँची दीवारें हैं खिड़कियॉं हैं तंग
निकलने के रास्ते हो गये हैं बंद
हताशा में है जीवन
घुट रही है मानवता
सीलन को दूर करे
ऐसी एक आग चाहिये
इस आग को हवा करें
ऐसे कुछ अशआर चाहिये
दुश्मन तो जाना पहचाना है
यारों से कौन बचाये
खुशगवार चेहरे में
जो हैं रकाबत छिपाये
इस बार जो मौसम बदला
जाड़े ठहर गये
जमे रिश्ते जो पिघला दे
ऐसे कुछ अशआर चाहिये
हाथों में थाम कर मशाल
बढ़ रहे हैं पुआल की ओर
ऐसे नासमझ तो न थे फिर
क्यों जा रहे हैं विनाश की ओर
इस बार जो हुआ है आर्तनाद
सब के सब सिहर गये
आशा की किरण दिखाये
ऐसे कुछ अशआर चाहिये
मोहब्बत की है तुमसे
उल्फत की रस्में भी निभायेंगे
तेरे शहर में अब आये हैं
प्यार तो जतायेंगे
तेरी जुबान में ही सही
हमें तो बस संवाद चाहिये
मेरी बात तुम तक पहुँचे
ऐसे कुछ अशआर चाहिये
चिकने पत्ते पर ठहरी है
जिन्दगी बूँद ओस की
इस बदहवासी में करें
कैसे बातें होश की
बहुत परेशान हैं हम
कसमकश है जीने की
पॉंव में छाले हैं
कुछ तो ठहराव चाहिये
घावों में मलहम लगाये
ऐसे कुछ अशआर चाहिये
मुझे बारिश की बूँदें
सूरज की तपिस चाहिये
खुली हवा में सॉंस
मेरे सपनों का गॉंव चाहिये
कुँए की जगत में ठॉंव चाहिये
मुझे मेरे हिस्से का चॉंद चाहिये
बहुत हो चुकीं रुखसारोजमाल की बातें
अब तो बस इन्कलाबी अशआर चाहिये
मथुरा कलौनी
6 comments:
बहुत खूब. समझ नही आ रहा की अच्छी कहूँ या दर्द भारी
वाह ! सुंदर सार्थक भावाभिव्यक्ति.मन आनंदित हो गया पढ़कर..साधुवाद.
बहुत सुंदर लिखा अपने कई पंक्तियाँ दिल को छू गई
कसमकश है जीने की
पॉंव में छाले हैं
कुछ तो ठहराव चाहिये
घावों में मलहम लगाये
ऐसे कुछ अशआर चाहिये
और यह तो बहुत अपनी सी लगी
मुझे बारिश की बूँदें
सूरज की तपिस चाहिये
खुली हवा में सॉंस
मेरे सपनों का गॉंव चाहिये
कुँए की जगत में ठॉंव चाहिये
मुझे मेरे हिस्से का चॉंद चाहिये..
bahut hi acchi kavita .
मुझे बारिश की बूँदें
सूरज की तपिस चाहिये
खुली हवा में सॉंस
मेरे सपनों का गॉंव चाहिये
कुँए की जगत में ठॉंव चाहिये
मुझे मेरे हिस्से का चॉंद चाहिये
mujhe ye pankhtiyan bahut pasand aayi hai ..
bahut badhai
kabhi mere blog par aayiyenga pls
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
सुंदर भावनाएं. शब्दों का अद्भुत संयोजन है.
bahot khub likha hai sahab aapne behatarin kavita dhero badhai aapko..
arsh
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