यह घटना वास्तव में घटी है।
रात का समय था। बस हल्द्वानी से दिल्ली जा रही थी। रात के करीब दो बजे बस रामपुर पहुँची, वहाँ चार व्यक्ति बस में चढ़े। उस समय बस के यात्री निद्रा की विभिन्न अवस्थाओं में थे। कोई खरर्ाटे ले रहा था तो कोई करवट बदल रहा था। उन चारों पर किसी का ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सीटें से ही रिजर्व करा रखीं थीं। कंडक्टर ने उन्हें खाली सीटों में बिठाया। मुरादाबाद बाईपास पार होते ही उन चारों में से एक जिसके चेहरे में चेचक के दाग थे ड्राइवर के पास गया और उसकी कनपटी में रिवाल्वर सटा दी। बस को वे लोग एक सुनसान खेत में ले गये और रिवाल्वरों के जोर पर यात्रियों को एक एक करके बाहर निकाला और उनके गहने पैसे लूट कर अपने साथ लाए बोरों में भर लिया। उसके बाद उन लोगों ने बस और पैसेंजरों को छोड़ दिया। लुटी हुई बस आगे बढ़ गई।
बस गजरौला करीब आधे घंटे के लिये एक ढाबे में रुक कर आगे बढ़ ही रही थी कि वे चार फिर आ गए। चेचक के दाग वाला उनका मुखिया लग रहा था। उसने बस के यात्रियों से कहा, आप लोगों का सब सामान हम लौटा रहे है। सामान नीचे दरी में पड़ा हुआ है। अपना सामान उठा लीजिए। इसके बाद वे कार में बैठ कर रफूचक्कर हो गये। यात्रियों ने देखा कि लूटा हुआ कैश तो वहाँ नहीं था पर गहने और सब सामान दरी में था।
लुटेरों की इस अजीब हरकत का खुलासा बस के ड्राइवर ने किया। इस हाईवे पर जब कोई भी बस लुटती है तो उसका एक बँधा हुआ रेट पुलिस को जाता है। बस से लुटेरे कितना ही क्यों न लूट लें पुलिस को उससे कोई मतलब नहीं। उनको उनकी पूर्व निर्धारित राशि मिलनी चाहिए। इस बस को लूटने पर उन चारों ने पाया कि कुल मिला के सामान की कीमत से पुलिस का ही चुकता नहीं होगा। उन्होंने सामान लौटा दिया। पुलिस को बता देंगे कि सामान कम निकला इसलिए लौटा दिया। इस तरह वे पुलिस को देने से, यानी घाटे के सौदे से बच जायेंगे।
5 comments:
धन्य है......मेरा भारत महान!
behatrin aur rochak sansmaran ahin. chota hone se ek hi sans me padh gya.
sanjay swadesh
मेड़ ही खेत खाने लगे तो क्या होगा
पहली बार सुना ऐसा किस्सा ...और देश की रक्षक इस पुलिस को क्या तमगा दूँ .....? न जाने कहाँ कहाँ जाल फैला रखा है इसने .....वकीलों तक से सांठ -गांठ लगा रखी है इसने ...वहीँ से केस इनके हवाले किया और आधी रकम जेब में .....सच है मेरा देश महान .....!!
jab rakshk hi bhkshk ban jaye to kya kahen .kise dosh de kise shabashi ?andher ngri chopat raja .
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