होली
कहीं पिचकारी की मार, कहीं रंगों की बौछार है
कहीं उड रहा अबीर, तो कहीं गुलाल है
भीगी चोली है, भीगा है चोला भी
कुछ रंग यहॉं हैं, कुछ रंग वहॉं भी हैं
कुछ रंग चरणों में अर्पित, कुछ माथे पर शोभित हैं
कौन अपना कौन पराया है, रंगों ने भेद मिटाया है
रंग है भंग है, पर नहीं रंग में भंग है
जोश है उमंग है, रवानी है तरंग है
रंगों की भाषा है रंगों की ही बोली है
कोई किसी का हो लिया तो कोई हो ली है
कितनी ही गहरी नहीं लगती गाली है
देखो किसी ने मन की गांठ खोली है
भूलो गिले शिकवे, छेड अपनों से ही होती है
होली के रंग में रंग जाओ, बुरा न मानो होली है
मथुरा कलौनी
2 comments:
आपको भी होली मुबारक!
होली की शुभकामनायें
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