tag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post7858864012746077336..comments2023-08-29T17:19:40.795+05:30Comments on कच्चा चिट्ठा: तुमने कुछ कहा होता - दूसरा और अंतिम भागमथुरा कलौनीhttp://www.blogger.com/profile/08652709661569445696noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-35195816646403179952010-04-22T11:15:14.621+05:302010-04-22T11:15:14.621+05:30सागर जी
टिप्पणी के लिये धन्यवाद। हकीरत जी की टिप...सागर जी<br />टिप्पणी के लिये धन्यवाद। हकीरत जी की टिप्पणी का उत्तर मैं दे चुका हूँ। <br />मेरा दुर्भाग्य कि मैंने ओमप्रकाश जी को नहीं पढा है। आपकी पारखी दृष्टि की दाद देनी पड़ेगी कि आपने कहीं कुछ समानता देखी है। तथा फर्क को तो रेखांकित ही कर दिया है। हर प्रेम कहानी में नायक होता है, नायिका होती है और मिलने बिछड़ने की घटनायें होती हैं। इतनी समानता तो अवश्य मिलेगी।<br />वैसे मेरी यह कहानी ' वामा' के दिसंबर 89 अंक में छपी थी। <br />कहानी आपको मार्मिक लगी यह मेरे लिये बहुत बड़ी बात है।<br />एक बार फिर धन्यवादमथुरा कलौनीhttps://www.blogger.com/profile/08652709661569445696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-79737941303457901682010-04-21T21:31:31.631+05:302010-04-21T21:31:31.631+05:30कहानी जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा की पुस्तक "...कहानी जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा की पुस्तक "साँझ हुई घर आये" से थोड़ी मिलती जुलती लगी। फर्क इतना जरूर है कि उसमें संयोग के अजीबोगरीब खेल और नायक की सचिव के प्रयास से आखिर में नायक को नायिका मिल ही जाती है। <br />मार्मिक कहानी। हरकीरत जी की बात में दम है। इतनी सुन्दर प्रस्तुति सिर्फ कथावाचक शायद नहीं कर पाता। <br />:)सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-47335191397379075332010-01-15T22:43:33.197+05:302010-01-15T22:43:33.197+05:30... बहुत सुन्दर कहानी, बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव...... बहुत सुन्दर कहानी, बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त किया है,हर किसी की सराहना मिलने की पूरी संभावना है !!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-12017696755403032162010-01-15T19:28:22.392+05:302010-01-15T19:28:22.392+05:30बहुत सुन्दर कहानी है आत्मकथानक मे लिखी गयी एाचना ...बहुत सुन्दर कहानी है आत्मकथानक मे लिखी गयी एाचना सही मे लेखक की ही समझी जाती है कई बार । कई बार मुझ से भी लोगों ने ऐसे ही प्रश्न पूछे हैं जैसे हरकीरत जी ने कहा। शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-23489196881687460352010-01-15T14:41:05.282+05:302010-01-15T14:41:05.282+05:30सुमति बिफर गई। उसने मेरी बात पूरी नहीं होने दी। &#...सुमति बिफर गई। उसने मेरी बात पूरी नहीं होने दी। 'उस तरह मुस्कराने के लिए मैं चार दिनों से अभ्यास कर रही थी शशि। मेरा भी आत्मसम्मान हो सकता है यह तुम्हें ध्यान नहीं आया।'" <br />" मन को छु गयी ये पंक्तियाँ......काश सुमति ने ......?? मगर शायद किस्मत को यही मंजूर हुआ होगा......असल जिन्दगी के बेहद करीब लगी आपकी ये कहानी "<br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-14342548414148199362010-01-15T10:06:49.247+05:302010-01-15T10:06:49.247+05:30@अनूप शुक्ल
मैं तो केवल कथावाचक हूँ।
@अरविंद मिश...@अनूप शुक्ल<br />मैं तो केवल कथावाचक हूँ।<br /><br />@अरविंद मिश्र<br />धन्यवाद<br /><br /><br />@हरकीरत 'हीर'<br />जी मैं पूर्णतया विवाहित हूँ। इस कहानी में मेरा रोल केवल कथावाचक का है। कहनी सत्यघटना पर आधारित है। कहानी रचते समय मैंने लेखकीय स्वतंत्रता का लाभ उठाया है। कहानी के नायक ने आगे चल कर शादी की। वह बालबच्चेदार है। नायिका को तो वह अपना न सका और अपने परिवार का हो कर भी न हो सका। नायिका को देख कर जो शब्द मस्तिष्क में उभरता है वह है मशीन। वह न खुश है न दुखी। बस मशीन की तरह जी रही है। <br />फिल्म सगीना महतो का डायलॉग याद आ रहा है ' येई तो जीबोन, काली दा' (यही तो जीवन है, काली दा)मथुरा कलौनीhttps://www.blogger.com/profile/08652709661569445696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-26062611481558922152010-01-14T21:32:53.994+05:302010-01-14T21:32:53.994+05:30कमाल है मथुरा जी आपने शादी नहीं की .....????
मेरे...कमाल है मथुरा जी आपने शादी नहीं की .....????<br /><br />मेरे एक और मित्र हैं सतीश जयसवाल उनके साथ भी कुछ ऐसी ही घटना हुई .....उन्होंने भी शादी नहीं की .....देखिये कई बार कुछ ऐसी घटनाये ज़िन्दगी को किस कदर रुखा बना देती हैं ......पर कहानी बहुत मार्मिक बन पड़ी है ......बधाई ......सच्ची है न ....??हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-9731611520608937092010-01-10T14:37:09.200+05:302010-01-10T14:37:09.200+05:30मार्मिकमार्मिकArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1601548908260800333.post-15376811779130522552010-01-10T09:55:16.812+05:302010-01-10T09:55:16.812+05:30अब जब उसने कहा तो आप कुछ कर नहीं सकते।अब जब उसने कहा तो आप कुछ कर नहीं सकते।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com